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उल्टा-पुल्टा प्रदेश की टेढ़ी-मेढ़ी सरकार

सुप्रभात
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pppसबसे पहले उल्टा – पुल्टा प्रदेश की ब्याख्या कर दूँ – U अर्थात उल्टा, P अर्थात पुल्टा, कभी यहाँ बहन जी की सरकार रहती है तो यहाँ के समझदार अपराधी 5 साल के लिए जेलों में अपनी – अपनी एक बैरेक बुक कर लेते है. इस सरकार में नौसिखिये अपराधियों से पुलिस अपना मोछा टेती रहती है. अर्थात संगीन अपराध की कमी रहती है. इसी ख़ुशी में बहन जी को प्रदेश में जहाँ भी जगह दिखती वहीँ उसे घेर कर उसमे अपने करोड़ो का हाथी का पुतला बैठा देती थी. अब इस उल्टा प्रदेश की त्रस्त जनता नेता जी को साईकिल से आता देख कर उन्हें रोक लेती है. नेता जी सबसे पहला काम जेलों से अपने आदमियों को बाहर निकल लेते है – “बेचारे लड़के है नादानी में रेप कर बैठते है इसका मतलब उन्हें अपराधी नहीं समझना चाहिए” यहाँ से शुरू होती है पुल्टा प्रदेश की कहानी.

अपने छोटे से शासन काल में यह सरकार वह सब करके दिखाया जिसके लिए यह जानी जाती है. राज्य में कानून व्यवस्था को तोड़ने में यह बहिनजी की सरकार से दो कदम आगे रहती है. दोनों एक दुसरे को अपनी ताकत का जलवा कमजोर जनता को शिकार बना कर दिखाती है. प्रदेश की नादान बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बना कर देश क्या पूरे विश्व में अपना मुह काला करवाने में इन्हे कोई शर्म नहीं लगती. सही बात है बेशर्म तो वो लोग है जो इनका गुणगान करते रहते है.

उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए किस कदर असुरक्षित बन चुका है, इसका अंदाजा इससे ही लग जाता है कि सूबे में छह महीने में रेप की 1689 वारदातें हुईं. पिछले छह माह में राष्ट्रीय महिला आयोग को देशभर से महिलाओं के खिलाफ अपराध की कुल 3,868 शिकायतें मिलीं है, जिनमें सर्वाधिक 2,079 शिकायतें यूपी से हैं. आज ‘बलात्कार’ समाजवादीयों की पहचान बना चुकी हैं.

आज यूपी में जो भी घटना घटती है उसकी जाँच सी बी आइ से करवाने की आवाज उठाई जाती है. प्रदेश पुलिस की बेबुनियाद छानबीन एवं जांच पड़ताल से प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठने लगे हैं .. पुलिस के द्वारा निर्भया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से की गयी छेड़ छाड़ की वजह से जनता का पुलिस पर से भी भरोसा उठने लगा है प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव अपनी नाकामी को छुपाते हुए इन घटनाओं की वजह अन्य राजनीतिक दलों को बताते रहे है.

मुज्ज़फरनगर, सहारनपुर, बरेली जिलों में हुए सांप्रदायिक दंगों ने प्रदेश सरकार की कथनी और करनी को लोगो के समक्ष ला खड़ा किया है .. इसके आलावा हाल ही में हुए बदायूं में दो बहनों के साथ बलात्कार के बाद पेड़ पर लटकाए जाने एवं लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र के बलसिंह खेड़ा में एक युवती दरिंदगी का शिकार हुई. दरिंदों ने पहले तो उसके साथ गैंगरेप किया फिर उसे नग्न अवस्था में तड़प-तड़पकर मरने के लिए छोड़ दिया. स्कूल परिसर में लगे नल, झाड़ियों, चबूतरे तक पर हर तरफ खून ही खून बिखरा था. हर जगह युवती के कपड़ों के चीथड़े पड़े हुए थे. 80 मीटर तक बहे खून के निशान और नग्न अवस्था में एक तरफ गिरा शव देखकर पुलिस, स्थानीय लोग सभी अवाक थे. पुलिस ने प्रारंभिक जांच के बाद बताया कि युवती के गुप्तांग से बेतहाशा खून बहा जिससे उसकी मौत हो गई.

महिला आयोग की रिपोर्ट के अलावा स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े तो यूपी में महिला अत्याचारों की और भी भयावह रिपोर्ट पेश करते हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चन्द्र मोहन ने कहा कि आयोग को यूपी से महिलाओं पर एसिड अटैक की 12 शिकायतें, हत्या के प्रयास की 42, बलात्कार की कोशिश की 206, जाति या समुदाय आधारित हिंसा की 123, घरेलू हिंसा की 1,316 और बलात्कार की 380 शिकायतें मिली हैं .

ये जनता के विकास और सुरक्षा के बारे में न सोचकर धर्म और जाति अधारित राजनीति करते है. बढ़ते अपराध की वजह से उत्तर प्रदेश का शासन और प्रशासन भी बौना दिखाई दे रहा है. घटना घटते ही पुलिस की जाच का पहला विषय यही रहता है मामले को रफा दफा कैसे किया जाय . ऐसा कोई सा भी दिन नहीं जा रहा जब राष्ट्रीय अखबारों और टेलीवीजनों में उत्तर प्रदेश से संबंधित अपराध और दुष्कर्म की खबर न हो. आज उत्तर प्रदेश में लगातार बढ़ते अपराध के कारन हर किसी को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या इस समस्या का एक मात्र उपाय उत्तर प्रदेश का विभाजन ही है?

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