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अब तो डार्लिग भी बदल गया…..

सुप्रभात
सुप्रभात
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अतिमहत्वाकांक्षा और अधिक धन, सुख शोहरत की लालसा किसे नही होती है…..? कुछ इसे समझदारी से मेहनत करके प्राप्त करते है तो कुछ लालच वष षार्टकट अपना कर इसे प्राप्त करते है। पहले तरीके मे तो इंसान सफल होता है पर दूसरे तरीके मे वह कहॉ से कहॉ तो पहुॅच जाता है पर पर्दे के पीछे का जो राज होता है। वह जब एक दिन खुलता है तो उसका अंजाम बड़ा ही भयानक होता है । पर ये राज खुलता जरूर है। और एक बार खुलने के बाद पूरे आवाम को किये का संदेष देकर जरूर जाता है। इसीलिये तो हमारी अंतररात्मा हमे हर डगर पर सचेत करती है – ‘‘ईष्वर देख रहा है, जरा चेत जाओ।‘‘
कांडा जैसे धूर्तताओ का तो मोल भी नही ऑकना चाहिये हॉ गीतिकाओ जैसी आधुनिक बालाओ को तो ये आभास होना ही चाहिये कि जो व्यक्ति अपने परिवार अपनी पत्नी के साथ छल कर रहा है वह कितना विष्वसनीय हो सक्ता है।………? ग्लैमर की अंधी चाहत मे रंगी गीतिकाओ जिसे 16 साल की उम्र से ही कांडा जैसे लोग यूज करने लगते है और कुछ ही समय मे उन्हे कंपनी का डायरेक्टर का पद देकर यूज किया फिर मर्सिडीज का गिफ्ट देकर उन्हे परिवार से भी छीन लिया जब तक उनकी मर्जी न हो परिवार तो क्या वहॉ पर एक परिंदा भी पर नही मार सक्ता है। एैसे मे उनका परिवार भी सोचता है कि बहुत बड़ी जिम्मेदारी सम्हाल रही है मेरी बेटी पर जिम्मेदारी तो बेटी को ही पता होती है। जिसे वो चाह कर भी घर परिवार सेे षेयर नही कर सक्ती।
कहते है कि जब एक स्त्री भटकती है तो वह वैष्या बनती है लेकिन जब एक पुरूश भटकता है तो वह मर्द बनता है। ख्वाब देखना अच्छी बात होती है और जीवन मे अपना जहॉ तलाषना भी जरूरी होता है लेकिन इन सबके पीछे यदि आपका सिद्वॉत हो तो कोई भी आपको अपके सिद्वॉत से विचलित नही कर सक्ता है। एैसे में यदि कोई एैसी लड़की, जो ख्वाब देखती है, उच्चपद की चाहत, बेशुमार शोहरत की चाह मे रंगीन हो जाती है। जिसे मर्यादा, अपने परिवार की तनिक परवाह ही नहीं रहती। तब वह गोपाल कांडा जैसों की देह में समा जाती है। मोबाइल पर गंदे एसएमएस, मेल पर कामुक बातें, गर्भ निरोधक सामग्री, ये सब उनकी दिनचर्या मे होता है। गर्भपात कराती है। शरीर की भूख, की वह आदी होने लगती है। और ना जानें क्या-क्या नियमित करवाने को विवश हो उठती है। जब होष आया तो उसके पास न कांडा ही था और न ही ‘फिजॉ के पास चॉद‘। तब चारो ओर से दिल मे एक छटपटाहट हो रही थी आखिर कार हड़बड़ी मे आकर वह मौत को गले लगा लेती है। पलके बंद होने से पहिले उसे अपने याद आते है। मां-भाई पिता का वो प्रेम जो उसने बचपन से बीते कुछ दिनो तक सबके साथ बिताये होते है। आज वे रिष्ते प्रेस के टीवी चैनलो के कैमरों के सामने अपनी बहन-बेटी का बखान करते नही थक रहे होते है।

कैरियर क्षेत्र कई है – फ़िल्मी दुनिया, मॉडलों की दुनियां, छोटे परदे की दुनियां, बार बालाएं, ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली लड़कियां, विभिन्न पेशो मे जुड़ी हुई महिलाऐ, आए दिन किसी न किसी प्रकार की मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना की षिकार होती ही रहती है। इन सबके पीछे वे सब एक समझौता अपने आपसे जरूर करती है – वो है अधिक धन, शोहरत, शानो-शौकत यदि पाना है तो कुछ न कुछ कुर्बानी तो देनी ही पड़ेगी। आज के दौर मे तो पोर्न स्टार सन्नी लियोन भी सम्मानित होने लगी है।

नारी प्रगति कहां जाकर थमेगी, रुकेगी, ठहरेगी कहना, जानना मुश्किल है। आधुनिक युवतियों के कदम जिस डगर पर निरंतर बढ़ रहे है। ऐसे में उसके परिणाम भी उन्हें ही भुगतना पड़ता है यह एक कटु सत्य है। एैसे मे मान-मर्यादाऐं, सीमाएं सबका बिखरना, टूटना तय है। काष आज के मॉ बाप इस बात को समझ सके, चाहे लड़का हो या लड़की सीमाहीन आजादी का अंजाम भयंकर ही होता है। मेरे कहने का तात्पर्य बच्चो को कैद मे करके रखना बिलकुल भी नही है। सामाजिक संतुलन को ध्यान मे रख कर प्रगति की राह पर चलने से इंसान की संरचना मर्यादित होती है।

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